भारत देश का
इतिहास गवाह रहा है कि इस देश को सोने कि चिड़िया कहा जाता था तथा बाहर से आने वाले
आक्रमणकारियों ने इस देश को लूटने मे कोई कसर नहीं छोड़ी। भारत की आज़ादी के बाद ये आशा बंधी थी के अब हमारा भारत एक ऐसा देश बनेगा जो विकास की नई कहानी लिखेगा
और जहाँ हर एक नागरिक को सभी तरह की स्वतंत्रता मिलेगी तथा सारे देशवासी देश की तरक्की
के हिस्सेदार बनेंगे। लेकिन स्वतंत्रता
प्राप्त होने के बाद ये सपना सपना ही रह गया, क्यूंकि आज़ाद भारत में भी इस देश को लूटने वालों की कोई कमी नहीं थी, भ्रष्टाचार और घोटालों की झड़ी सी लग गई तथा नेताओं ने भारत में सरकारी पैसों
और जनता की दौलत का इतना ग़लत उपयोग किया कि जनता त्राहि त्राहि करने लगी।
देश में पहला सब
से बड़ा घोटाला बोफ़ोर्स घोटाले की शक्ल मे सामने आता है, जब 1987 में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली काँग्रेस सरकार के द्वारा स्वीडन की एक कंपनी को भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने के लिए 80 लाख डालर दिये
गए थे। बाद मे इस मामले पर राजीव गांधी को सरकार छोडनी पड़ी थी और वि पी सिंह एक
हीरो के रूप में उभर कर सामने आए थे।
इसके बाद 1992 में हर्षद मेहता ने शेयर
मार्केट घोटाला कर के लाखों डालर बनाये थे। 2009 में सत्यम कम्प्युटर सर्विसेज के सीईओ रामालिंगा राजू
ने अरबों रुपयों का घोटाला किया, बाद में इस कंपनी को टेक महिंद्रा ने ले लिया और अब ये
महिंद्रा सत्यम के नाम से जानी जाती है। केस अब भी अदालत मे चल रहा है।
पिछले साल सामने आया महाराष्ट्र के मुंबई
में आदर्श हाउसिंग सोसाइटी घोटाला जिसमें मुख्यमंत्री अशोक चवान को गद्दी छोडनी
पड़ी। सेना के जवानों की बेवाओं
के लिए बनाई जाने वाली हाउसिंग सोसाइटी में घोटालों
के द्वारा सरकार के करोड़ो रुपयों का दुरुपयोग किया गया।
अक्टूबर 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में भी करोड़ों रुपयों को इधर उधर किया गया और आयोजन करने के
नाम पर खर्च से कई गुना ज़्यादा रकम सरकार से ली गई। इस घोटाले के बाद राष्ट्रमंडल खेलों की आयोजन कमिटी के अध्यक्ष सुरेश कलमाडी को अपने पद से हटना पड़ा।
2010 में ही 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला सामने
आया, जिसमें टेलीकॉम कंपनियों को लाइसेंस जारी करने में सरकार के करोड़ों रुपयों का घोटाला किया गया। जिसके बाद टेलीकॉम मंत्री ए राजा को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा तथा आज भी इस से संबंधित
जाँच चल रही है। इसी घोटाले में कॉर्पोरेट लाबिस्ट नीरा राडिया का नाम भी सामने आया।
इन घोटालों के इलावा लोन रिश्वत घोटाला ,बिहार का चारा(पशुपालन) घोटाला, उत्तर प्रदेश का ताज कॉरिडोर घोटाला, नटवर सिंह के द्वारा किया गया तेल के बदले भोजन घोटाला, हवाला स्केंडल, तेलगी स्टाम्प पेपर
घोटाला, मधु
कोड़ा के द्वारा 4000 करोड़ रुपयों का
घपला, जिस से उन्होंने थाइलैंड में सम्पति खरीदी ,
लाइबेरिया में खान तथा कोलकाता और दूसरे बड़े शहरों मे होटल खरीदे। नोट के बदले वोट का मामला , हसन अली खान के अवैध धन और उनके
द्वारा टैक्स चोरी का मामला, भी सामने आया। घोटालों की एक
लंबी सूची है जिनमें सरकार और जनता के पैसों से मंत्रियों, नेताओं, तथा व्यवसायियों
ने अपनी तिजोरीयां भरीं और देश को लूटने का नया इतिहास रचा। मंत्रियों तथा
व्यवसायियों द्वारा विदेशों मे हज़ारों करोड़ रुपये रखने का मामला भी सामने आया है।
अगर ये पैसे इस तरह से दुरुपयोग न होते तो आज भारत की स्थिति कुछ और ही होती और भारत आज विकासशील देश न होकर विकसित देशों
की सूची मे होता। एक अनुमान के अनुसार भारत में अभी तक घोटालों के द्वारा 73 लाख
करोड़ रुपयों का दुरुपयोग किया गया है, जिनसे भारत की तस्वीर बदली जा सकती थी।
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